आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

जब सत्संग सुनने आई संगत पर गुरु अपनी दृष्टि डालता है तो जीव के अंदर वह नाम रूपी सत्य प्रगट होने लगता है जिस पर जन्मों-जन्मों की धूल पड़ी हुई है जब वह गुरु की शरण में आता है

तब गुरु अपनी कृपा की दृष्टि उस पर डाल कर जीव के अंदर जन्मों से दबे हुए उस सत्य को प्रगट कर देता है साध संगत जी सतगुरु फरमाया करते थे कि सत का अर्थ है जाग्रत और संग का अर्थ है जुडना अर्थात जाग्रत या पहुँचे हुये पुरूष की संगत ही सतसंग है, सतगुरू के अन्दर सत प्रकट है उसकी संगत का नाम ही सतसंग है ।

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