रोजाना भजन बंदगी करने वाले व्यक्ति को कभी भी चिंता नहीं होती क्योंकि वह बलपूर्वक परिस्थिति का सामना कर लेता है और बाहर की कोई भी स्थिति उसके अंदर को नहीं बिगाड़ पाती क्योंकि रोजाना भजन बंदगी करने से वह अंदर थिर हो जाता है
तो जब कभी बाहर उसे चोट पड़ती है तो फिर वह डोलता नहीं है बल्कि बलपूर्वक उसका सामना करता है सतगुरु कहते है रोजाना भजन बंदगी करने से अंदर जो ताकत मिलती है उसे लफ्जों में बयान नहीं किया जा सकता क्योंकि हमारी छोटी सी कोशिश का भी हम पर असर पड़ता है और सतगुरु कहते हैं कि तुम एक लिखो बाकी की दो ज़ीरो में लगा दूंगा तो 100 बन जाएगा लेकिन शुरुआत तुम्हें ही करनी पड़ेगी ।
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