साध संगत जी सतगुरु कहा करते थे कि हमें परमात्मा की कोई कदर नहीं ! हम केवल संसारी काम काजो को ही प्राथमिकता देते हैं और गुरु को उस लिस्ट में अखीर में रखा है
हम बाहरी दौलत से इतना प्यार करते हैं कि अगर कोई ग्राहक हमारी दुकान पर रात के 3:00 बजे 3000 की चीज़ लेने आ जाए, तो हम बड़ी खुशी से उसके लिए दुकान खोल देते हैं लेकिन जब सद्गुरु करोड़ों की परमार्थी दौलत लेकर अमृत वेले में हमें मुफ्त में देने आता है तो हम उठते नहीं और उस दौलत को लेने से इनकार कर देते हैं तो हम पूछे अपने आप से कि हम कैसे व्यापारी हैं ?
ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.