आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

जब भजन सिमरन करने वाले सत्संगी का चेहरा नूर से भर जाता है तो उसके चेहरे पर मन की स्थिरता साफ दिखाई देने लगती है क्योंकि जैसे वर्षा होने पर बीज धरती में छिपा नहीं रहता बल्कि अंकुरित होकर बाहर आ जाता है,

इसी तरह नाम का सुमिरन करने वाले के मन और तन की वृत्ति में बदलाव आने लगता है, चंचल मन निश्चल होने लगता है और यह बात किसी से छिपी नहीं रहती, जो साधक संसार की आशाएं छोड़कर, इच्छाओं का त्याग करके अंतर में केवल उस "नाम" का सुमिरन करता है, वह जीवन की बाजी जीत जाता है, नाम के सुमिरन से अज्ञानता का अंधेरा दूर हो जाता है और अंतर में प्रकाश हो जाता है ।

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