असली धन ध्यान का धन है, वकील मरेगा तो वकील बनकर पैदा नहीं होगा, शिक्षक मरेगा तो शिक्षक बनकर पैदा नहीं होगा लेकिन अगर भक्त मरेगा तो भक्त बन कर ही पैदा होगा और इस बात की पूरी गारंटी है कि अगर किसी को पूरे गुरु से नाम की बख्शीश हो गई है और वह गुरु का सत्संगी बन गया है और उसका कुछ सफ़र रह गया है अगर उसकी मृत्यु हो जाती है तो वह आगे भी सत्संगी बनकर इस संसार में आयेगा अर्थात अगर हम उस मालिक के भक्त बन जाएंगे तो भक्त बन कर ही पैदा होगे क्योंकि हमारी भक्ति हमारे साथ जाती है और साथ में वापस आती है ।
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