सतगुरु फरमाया करते थे, जो सत्संगी शब्द (अनहद नाद) के साथ जुड़ जाता है, उसको वह शब्द अन्तर में गुरु के साथ मिला देता है और अंदर गुरु के दर्शन ही सच्चे दर्शन है क्योंकि वहां पर गुरु शब्द रूप में मौजूद होता है और जिसने एक बार भी अंदर गुरु के दर्शन कर लिए उसका आना जाना खत्म हो जाता है उसका इस संसार से छुटकारा हो जाता है और वह जीवात्मा अपने सच्चे धाम सचखंड जाकर निवास करती है ।
ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.