एक सच्ची आप बीती । जब एक सत्संगी लड़की भजन के दौरान अपना पिछला जन्म देखकर रोने लग पड़ती है ।

 

साध संगत जी आज की ये साखी बड़े सतगुरु जी के समय की है जब एक महिला सतगुरु से अपने पिछले जन्म के बारे में जानने का हठ करने लगती है तो आयए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

साध संगत जी जब एक महिला सतगुरु के पास आती है और अपने पिछले जन्म के बारे में जानने का हठ करने लगती है तो सतगुरु उसे समझाने की कोशिश करते हैं कि हमें अपने पिछले जन्मों से क्या लेना है हमें तो आगे की तरफ देखना है आगे बढ़ना है लेकिन वह अपनी इस इच्छा को प्रबल करते हुए सतगुरु के आगे विनती करती है अरदास करती है कि हे सच्चे पातशाह ! मुझे अपने पिछले जन्म के बारे में जानना है तो साध संगत जी जब वह नहीं मानती तो सतगुरु उसे घर जाकर भजन बंदगी करने का हुक्म देते हैं और कहते हैं की अभ्यास में तुझे सब दिखाई पड़ेगा तो जब वह भजन बंदगी पर बैठती है सतगुरु के दिए हुए नाम का सिमरन करती है तो जैसे-जैसे उस में लीन होती जाती है तो उसे अपनी पिछली यात्रा दिखाई देने लगती है उसे अपने पिछले जन्मों के बारे में ज्ञान होने लगता है कि वह कहां-कहां से होकर आई है तो वह देखती है कि मैं अपने पिछले जन्म में एक वैश्या थी जिसने बहुत लोगों के साथ संभोग किया हुआ था तो जब वह देखती है कि वह एक वैश्या थी तो यह जानकर उसकी आंखें तुरंत खुल जाती है और वह अपने आपको गिरा हुआ महसूस करती है और दुखी मन से सतगुरु के पास जाती है और सब बताती है तो साध संगत जी सतगुरु उसे फरमाते हुए कहते हैं कि मैं तो अक्सर आगे बढ़ने की ही बात करता हूं क्योंकि अगर हम पीछे देखना शुरु कर दें तो हमें आगे बढ़ने में मुश्किल होगी हम आगे बढ़ नहीं पाएंगे अपने पिछले जन्मों के बारे में जानने से हम पर बोझ और बढ़ जाता है इसलिए जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी जो भी यादाष्ट होती है जो कुछ भी उसने एकत्रित किया होता है उसी समय सड़ जाता है खत्म हो जाता है और जीवात्मा नए रूप से इस संसार में जन्म लेती है और एक नई शुरुआत करती है इसलिए हम पिछले जन्म में क्या थे यह जानने से बेहतर है कि हम आगे की तरफ देखें क्योंकि पीछे जो हमने किया है अगर हम वह जाने लग गए तो हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे क्योंकि हम देह से इतने जुड़े हुए हैं कि देह को ही सत्य मानने लगते हैं जबकि देह सत्य नहीं है सत्य तो जीवात्मा है जिसकी कभी मृत्यु नहीं होती और देह तो बदलती रहती है इसलिए हमें अंतर में आत्मा से जुड़ना है देह से तादात्म तोड़ना है तभी हम रोहानियत के इस मार्ग पर चल पाएंगे और रूहानियत के इस मार्ग पर आगे बढ़ पाएंगे ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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