सत्संगियों को भला बुरा कहने वाले लोग इस बात से अनजान रहते है कि वास्तव में न तो कोई हमारा कुछ बुरा करता है और ना ही हमारे साथ बुरा बर्ताव करता है, क्योंकि जैसा जैसा हमें अपने कर्मों का फल मिलने वाला होता है,
परमात्मा हमारे साथ लोगों से उसी के अनुसार व्यवहार करवाता है, इसलिए हमें कभी किसी को दोष नहीं देना चाहिए, नियमित रूप से, श्रद्धा प्रेम और भक्ति के साथ, 'भजन सिमरन' करते रहने से, मनुष्य इन बातों से ऊपर उठ जाता है ।
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