गुरु नानक साहिब ने आसा की वार के कई प्रसंगों में यह भाव प्रकट किया है, सतगुरु कहते है हे नानक ! संसार में जो कुछ भी होता है, प्रभु के हुक्म से, उसकी रज़ा से होता है, आप इसके साथ ही अनेक प्रसंगों में इस बात पर भी बल देते हैं कि इसे जो कुछ मिलता है, प्रभु की दया से मिलता है, सतगुरु, नाम और प्रभु का मिलाप, प्रभु की दया पर निर्भर है, दया और रज़ा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, प्रभु की रज़ा, उसकी दया में ढलकर जीव के भवसागर से पार उतरने और प्रभु के साथ मिलाप का साधन बन जाती है ।
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