Guru Nanak Sakhi : जब सतगुरु नानक की जमानत देने कोई नहीं उठा तो क्या हुआ ! जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक देव जी की है जब सतगुरु नानक कुफा शहर में जा पहुंचे और वहां पर सतगुरु नानक ने अपनी सेविका सलीमा के पति की जमानत कैसे दी अयिए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं।

साध संगत जी जब सतगुरु नानक कुफा शहर में पहुंचे तो वहां पर सतगुरु ने 3 महीने तक का समय वहां पर रहकर गुजारा और वहां पर सतगुरु नानक हर रोज आसपास के रहने वाले लोगों को गुरबाणी सुनाते थे और इसके चलते कूफा शहर के लोग दो हिस्सों में बट चुके थे एक तो वह जो सतगुरु नानक को मानने लगे थे और दूसरे जो किसी अन्य देवता की पूजा करते थे और सतगुरु नानक के पास एक औरत आती थी जिसका नाम सलीमा था वह सतगुरु नानक के लिए भोजन बनाकर भी लेकर आती थी और वह बहुत ही धार्मिक औरत थी सलीमा के पति उंठ के व्यापारी थे और उस समय वह व्यापार के लिए विदेश गए हुए थे तो कुछ समय के बाद सलीमा के पति वापस अपने शहर में आ गए और उनके पति से किसी ने कहा कि आपकी बेगम कब्रिस्तान के पास एक फकीर के पास जाती है और उसकी सेवा में ही रहती है अब तो उसने नमाज पढ़ना भी छोड़ दिया है और यह हमारे धर्म के खिलाफ है कहीं आपको लेने के देने ना पड़ जाए इसलिए आप अपनी बेगम पर ध्यान दीजिए साध संगत जी अक्सर लोग गुरु के मार्ग और उसकी छत्रछाया में जाते हैं लेकिन गुरु का मार्ग आसान नहीं है गुरु समय-समय पर अपने भक्तों और प्यारों की परीक्षा लेता है तो एक दिन सलीमा सतगुरु नानक के पास गई और उनकी सेवा में इतनी खो गई की रात होने लगी तो सतगुरु नानक ने अपने सेवकों से कहा कि इस बच्ची से कहो कि अपने घर जाए तो वह सोचने लग गए कि आज तक सतगुरु ने कभी भी ऐसा नहीं किया कि वह किसी का सिमरन तोड़े या फिर किसी कि लग्न में सतगुरु बाधा बन रहे हो, तो उन्होंने सतगुरु की आज्ञा पाकर सलीमा को घर जाने के लिए कहा तो सलीमा ने सतगुरु नानक के चरणों पर प्रणाम किया और जैसे ही उसने सतगुरु के चरणों पर प्रणाम किया उसकी आत्मा संतुष्टि के प्रकाश से भर गई और वह कहने लगी कि मुझे लगता है कि मेरे पति वापस आ गए हैं और मैं कल उनको अपने साथ आपके दर्शन करने के लिए लेकर आऊंगी तो गुरु जी सलीमा से बोले की याद रहे पुत्री धैर्य बनाए रखना किसी भी प्रकार की अवस्था हो लेकिन तुम नरम बनी रहना, तो सतगुरु नानक की सेवा कर सलीमा अपने घर वापस जाने लगी और जब वह घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके घर पर भीड़ इकट्ठी हुई है और आसपास के लोग उसके पति से कुछ बातें कर रहे हैं और उन्हें कुछ समझा रहे हैं तो वह सब देख कर वह समझ गई कि मेरे पति के कान भर दिए गए हैं तो जब सलीमा ने अपने पति के पास जाकर उनका हाल पूछा तो उसने कहा कि इससे तुम्हें क्या मतलब है क्योंकि वैसे भी तुमने पूरी बिरादरी में मेरी नाक कटवा दी, मैंने जितनी भी इज्जत बनाई थी सब तुमने खराब कर दी है तो ये सुनकर सलीमा ने कहा की हे स्वामी ! मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे आपके मान और सम्मान को ठेस पहुंचे यह तो मेरी भक्ति का फल है कि आप सही सलामत वापस आ गए नहीं तो आप को मिसर में मृत्यु दण्ड मिलना तय था तो उसका पति यह सुनकर हैरान रह गया और उसने अपनी पत्नी सलीमा से पूछा कि सलीमा तुम्हें इसके बारे में किसने बताया क्योंकि यात्रा के पश्चात तो हम अभी मिल रहे हैं तुम्हें कैसे पता चला ? तो उसकी पत्नी ने कहा कि मुझे मालूम है कि आप मिसर से आ रहे हो और वहां पर आपने 500 सोने की मुद्राओं को खोदकर निकाला और उसके पश्चात उन्हें माजिद को दे दिया तो उसके पति ने कहा कि बिल्कुल मेरे साथ ऐसा ही हुआ है लेकिन तुम्हें यह सब कैसे पता है अल्लाह के लिए मुझे बताओ कि तुम्हें यह बात किसने बताई तो सलीमा ने कहा कि मैं आपको सब कुछ बताऊंगी लेकिन उससे पहले आप भोजन कर लो तो उसके पति ने कहा कि मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा कि तुम्हें यह सब कैसे पता चला ठीक है ! तुम पहले भोजन ले आओ और उसके बाद मुझे बताओ कि तुम्हें यह सब किसने बताया और तुम्हें यह सब कैसे पता चला तो सलीमा के पति ने भोजन किया और उसके बाद वह उसके पास बैठ गया और उससे पूछने लगा कि अब मुझे बताओ कि तुम्हें यह सब बातें कैसे पता चली तो सलीमा ने कहा कि पहले आप बताएं कि आपको मिसर के दरबार में क्यों पेश किया गया था तो उसके पति ने कहा कि तुम बस यह जान लो जो हुआ वह अल्लाह की मर्जी थी अगर वह भला व्यक्ति मेरी जमानत के लिए नहीं आता तो मैं अपने भतीजे माजिद का कर्ज नहीं चुका पाता और इस वजह से मैं तुम्हें कभी नहीं देख पाता तो उसकी पत्नी सलीमा ने कहा कि किसने आप की जमानत दी थी और क्या बात हुई मुझे पूरी बात बताओ तो उसने अपनी पत्नी सलीमा से कहा कि अभी मैंने सुबह की नमाज खत्म ही की थी पास में ही एक बगीचा था और हमारे उंठ भगरा ने वहां पर लगे पेड़ की एक डाल को तोड़ कर खा लिया तो उस बगीचे के बुजुर्ग को यह देखकर बहुत गुस्सा आया तो उसने पत्थर लेकर हमारे उंठ भगरा के सिर पर मारा जिससे कि हमारे उंठ भगरा की मौत हो गई, तो ये सुनकर उसकी पत्नी सलीमा ने भावुक होकर कहा की भगरा मर गया लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है वह तो बहुत वर्षों से हमारे साथ था यह तो बहुत बुरा हुआ तो उसके पति ने कहा कि हां हमारे साथ बहुत बुरा हुआ, लेकिन उस समय मुझे भी गुस्सा आ गया और मैंने भी उसी पत्थर से उस बुजुर्ग की हत्या कर दी और मैंने वहां से भागने की बहुत कोशिश की लेकिन भाग नहीं पाया तो ऐसे मिसर के दरबार में उस बुजुर्ग के परिवार ने मेरी पेशी लगवा दी और वहां के राजा ने मुझसे सवाल किए कि जो बुजुर्ग के परिवार ने तुम्हारे खिलाफ कहां है क्या वह तुमने सुना है तो उसने कहा जी महाराज ! परंतु पहले इन्होंने मेरे उंठ को मारा और फिर मैंने भी उसी पत्थर से इनकी हत्या कर दी और मुझे मेरा उठ बहुत प्रिय था वह मेरे लिए बहुत अनमोल था तो राजा ने कहा कि जब उस बुजुर्ग ने तुम्हारे उंठ को मारा तब तुम्हें यहां मेरे पास आना चाहिए था उसकी शिकायत लेकर मेरे पास आना चाहिए था ना कि उसे मारना चाहिए था अगर तुम मेरे पास आते तो मैं तुम्हें इंसाफ दिलाता तुम्हें तुम्हारे उंठ की पूरी कीमत दिलवाता लेकिन अब तो तुमने उस बुजुर्ग की हत्या कर दी है जिसका इंजाम अब तुम्हारे सिर पर है अब तो तुम्हें मृत्यु दण्ड ही मिलेगा क्या तुम्हारे पास अभी भी कुछ कहने को है तो उसने कहा कि हजूर मैं आपके सामने सिर झुका कर माफी मांगता हूं और आप के कानून के सामने भी नतमस्तक होता हूं और अपने इस जुर्म को कबूल करता हूं और उसने कहा कि हजूर मेरी आपसे एक विनती है कि मुझे 3 दिन की जमानत दे दी जाए तो राजा ने कहा कि 3 दिन की जमानत क्यों मांग रहे हो तो उसने कहा कि मेरे पास अनाथ लोगों की कुछ अमानत है जिसके बारे में सिर्फ मैं ही जानता हूं मै उस अमानत को उन्हें सौंप कर 3 दिनों में वापस आ जाऊंगा बस मेरी यही आखरी ख्वाइश है तो राजा ने कहा कि हम तुम्हें 3 दिन की जमानत दे सकते हैं परंतु तुम्हें जहां पर तुम्हारा एक जमानती छोड़ना पड़ेगा और अगर तुम 3 दिनों में वापस नहीं आए तो तुम्हारी जगह उस जमानती को मृत्यु दण्ड मिलेगा और राजा ने कहा की है कोई ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारी जमानत ले सकता है ? तो वह अपनी पत्नी से कहता है कि उस शहर में मैं बिल्कुल अकेला था ना कोई दोस्त ना कोई मित्र और ना ही कोई रिश्तेदार लेकिन अल्लाह पर विश्वास रख कर मैंने दरबार में ऐसे ही किसी एक व्यक्ति की तरफ़ उंगली कर दी तो राजा ने उस व्यक्ति से पूछा कि तुम इसकी जमानत देने को तैयार हो तो उस व्यक्ति ने जमानत दे दी तो उसके बाद सलीमा का पति उसे कहता है कि मैं वहां से भाग कर अपने चचेरे भाई माजिद के पास पहुंचा और उसे उसकी अमानत लौटा दी और उसके बाद वापस मिसर की ओर निकल गया और पूरे रास्ते में मैं यही सोच रहा था कि मैं वहां पर समय पर पहुंच पाऊंगा या नहीं और रास्ते में मेरी आंखों के सामने उसी व्यक्ति का चेहरा नजर आ रहा था जिसने सफेद कपड़े पहने हुए थे और जिस ने मेरी जमानत दी थी और मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से किसी को मृत्यु दण्ड मिले तो मैं किसी भी तरह करके समय पर वहां पहुंच गया और वहां पर किसी को भी यह विश्वास नहीं था कि मैं वापस आऊंगा लेकिन मेरी वापसी को देखकर नवाब बहुत प्रसन्न हुआ और मुझसे बोला कि हम तुम्हारी इमानदारी को देखकर बहुत प्रसन्न हुए मुझे नहीं लगता था कि तुम वापस आओगे और इस निर्दोष को मृत्यु दण्ड मिलेगा तुम्हारी इसी ईमानदारी की वजह से मैं तुम्हें वरी करता हूं तो उसने अपनी पत्नी से कहा कि इस तरह मैं मौत के मुंह से बचकर तुम्हारे पास आया हूं तो उसकी पत्नी ने कहा कि क्या आपको उस व्यक्ति का चेहरा याद है तो उसने कहा बेशक ! मुझे उसका चेहरा पूरी तरह से याद है मैं उसे कैसे भूल सकता हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह व्यक्ति हमें दोबारा मिलेगा मैंने उस व्यक्ति के बारे में वहां पर रहने वाले लोगों से खूब पूछा लेकिन किसी को उसके बारे में नहीं पता था कि वह फरिश्ता कहां से आया था शायद अब हमें वह फरिश्ता कभी नहीं मिलेगा मुझे तो लगता है कि अल्लाह ही मेरी रक्षा करने के लिए आए थे और शायद वह व्यक्ति अब मुझे दोबारा नहीं मिलेगा तो ये सुनकर उसकी पत्नी सलीमा ने कहा कि हे करतार ! तुम्हारा लाख-लाख शुक्र है और वह अपने पति से कहती है कि आप जहां ठहरे मैं अभी आई, तो उसने अपनी पत्नी सलीमा से पूछा कि तुम कहां जा रही हो तो उसने कहा कि मैं गुरु जी के पास जा रही हूं तो वह गुस्से में आ गया और उसने कहा कि तुम फिर उस फकीर के पास जा रही हो तो उसकी पत्नी ने कहा कि आप भी हमारे साथ क्यों नहीं चलते तो उसने गुस्से में आकर कहा कि तुम क्या बकवास कर रही हो मैं अल्लाह के अलावा किसी को नहीं मानता उसी ने मेरी जान बचाई है तो उसकी पत्नी सलीमा ने कहा कि आप कुछ मत कहिए मुझे दिख रहा है कि आपकी जेब में कुछ हिल रहा है तो ये सुनकर वह और भी गुस्से में आ जाता है और कहता है कि मेरी जेब में क्या होगा तुम ऐसी बातें क्यों कर रही हो और उसी समय उसे एक बिच्छू काट लेता है तो उसकी पत्नी सलीमा उसे कहती है कि आप घबराइए मत मैं अभी आपका जहर निकाल देती हूं और वह अपने पति का जहर निकाल देती है तो उसका पति उसे सवाल करता है कि सलीमा मुझे लगता है कि तुम्हें कुछ हो गया है जैसे कि कोई दिव्य शक्ति तुम्हारे अंदर आ गई हो तो उसकी पत्नी सलीमा कहती है कि ऐसा कुछ भी नहीं है मैंने तो जो भी किया है करतार का नाम लेकर ही किया है और मैं चाहती हूं कि आप भी मेरे साथ गुरुजी के दर्शन कीजिए तो उसका पति उससे कहता है कि ठीक है सलीमा ! जैसा तुम कहती हो मैं वैसा ही करूंगा और वह अपनी पत्नी के साथ गुरु जी के दर्शन के लिए करने के लिए चल पड़ता है और जब वह सतगुरु नानक को देखता है तो तुरंत चिलाने लग जाता है कि सलीमा यह वही व्यक्ति है जिसने मेरी जमानत दी थी तो साध संगत जी उन दोनों ने सतगुरु नानक के चरणों पर जाकर प्रणाम किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया तो उसके बाद सतगुरु नानक संसार का भला करने के लिए आगे चल पड़े ।

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By Sant Vachan


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