सतगुरु फरमाते है कि हे नानक ! परमातमा को सोच विचार से नही पाया जा सकता, चाहे सोच विचार कितनी ही बार क्यो न की जाये,
वह मन और बुद्धि की सीमा से परे है, असल में मन और बुद्धि दोनो ही अँधे है, इनसे तो साँसारिक समस्याओँ का भी समाधान नही होता, मन और इसकी चतुराई तथा सूझबूझ प्रभु को पाने मे असमर्थ है, परमातमा का मार्ग मन की पहुँच से बाहर है, प्रभु को पाने का एकमात्र साधन शब्द मार्ग पर चलना है ।
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