Guru Nanak Sakhi । पति-पत्नी के शारीरिक रिश्ते को लेकर सतगुरु क्या उपदेश करते है । जरूर सुने

 

साध संगत जी आज की साखी पति और पत्नी के रिश्ते पर आधारित है कि पति और पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए इस विषय पर सतगुरु हमें क्या फरमान करते हैं आइए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

साध संगत जी हमारे हर एक प्रश्न का जवाब सतगुरु ने अपनी वाणी में दिया है लेकिन हम उस पर विचार नहीं करते उस पर ध्यान नहीं देते इसलिए हमारे जीवन में बहुत सारी उलझनें खड़ी हो जाती है साध संगत जी, फरमाया जाता है कि पति और पत्नी का रिश्ता प्यार, विश्वास, भरोसे, इमानदारी और बेहतर समझ पर निर्भर होता है जिस पति और पत्नी में यह सब गुण होंगे वह अपने परिवार के मोतियों को एक माला में बांधे रखेंगे और यहां पर भी इनमें से किसी भी गुण में किसी तरह की कमी आई तो वह माला के मोती बिखर जाएंगे साध संगत जी पति और पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए इस पर सतगुरु अमरदास जी ने वाणी के 788 अंग में फरमाते है कि जो पति और पत्नी केवल शारीरिक रूप से एक दूसरे के करीब है उन्हें पति और पत्नी नहीं कहा जा सकता बल्कि पति और पत्नी तो वो है जिनके शरीर तो दो है लेकिन आत्मा एक है उनकी आंखें तो दो है लेकिन उनकी दृष्टि एक है लेकिन असल में क्या हो रहा है कि पति तो चाहता है कि पत्नी उसके हिसाब से चलें यानी कि उसके जैसी हो जाए और पत्नी चाहती है कि उसका पति उसके जैसा हो जाए उसके जैसा बन जाए, पति हमेशा अपनी पत्नी का प्यार और ध्यान मांगता रहता है और पत्नी अपने पति से, तो यहां पर सतगुरु फरमाते हैं कि ऐसा मालूम होता है कि जैसे दोनों एक दूसरे से प्यार और ध्यान की भीख मांग रहे हो तो इस तरह भिखारी बनकर रिश्ते को चलाने का क्या फायदा श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी ने पति और पत्नी को एक माना है इसलिए उनकी शिक्षा भी दोनों के लिए समान है और सतगुरु फरमाते हैं कि पति और पत्नी शारीरिक हवस के लिए एक दूसरे से नहीं जुड़े हैं बलिक वह तो शादी के बंधन में इसलिए बधते हैं ताकि उनकी आत्मा एक होकर उस प्रभु की भक्ति कर सकें और जब दोनों की आत्मा एक हो जाएगी तो सभी तरह के वाद विवाद अपने आप खत्म हो जाएंगे इसलिए वाणी के अनुसार जो पति पत्नी संग रहे और केवल शारीरिक रूप से जुड़े हो उन्हें पति पत्नी नहीं कहा जा सकता बलिक पति-पत्नी तो वह है जिन्होंने अपना सब कुछ एक दूसरे को दे दिया हो और दो जिस्म एक जान हो गए हो और सतगुरु फरमाते है कि उनका उद्देश्य प्रभु को पाना होना चाहिए ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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