Guru Nanak Sakhi । हमारे जीवन का असल उदेश्य क्या है । जरूर सुने

 

साध संगत जी वाणी में फरमाया गया है कि हे मनुष्य ! जो भी तूं इन आंखों से देखता है वह नश्वर है वह इस संसार की माया है और पूरा संसार माया के इस चक्रव्यू में बुरी तरह से फंसा हुआ है और उस परमपिता परमात्मा को भूला बैठा है और हराम का खाने में उत्सुक है और जो व्यक्ति दूसरों की कमाई खाता है भाव हराम की कमाई खाने में उत्सुक रहता है ।

सद्गुरु फरमाते हैं की अंतिम समय उसकी पुकार कोई नहीं सुनता जब धर्मराज उसके द्वारा किए गए कर्मो का हिसाब मांगता है तो हे भाई ! दूसरों की कमाई पर नज़र रखने वाले मनुष्य तूं हक हलाल की कमाई कर और उसमे से दूसरों की मदद कर तभी तूं एक सच्चा शिष्य बन पाएगा, उस ईश्वर ने चेतन की ज्योति और अचेतन की मिट्टी को मिलाकर इस संसार की रचना की है सब कुछ उसी का निर्मित किया हुआ है जिस तरफ भी नजर डाल कर देख लो उसी का रूप रंग नजर आता है वह सृष्टि के कण-कण में मौजूद है उसके अनेकों रंग हैं अनेकों उसके रूप है यह आसमान, धरती, चांद-तारे यह सब उसी के बनाए हुए हैं और सतगुरु फरमान करते हैं की हे भाई ! उस मालिक की इस सुंदर सृष्टि में जो उसके विपरीत चलते हैं भाव जो गलत काम करते हैं जो माया के अधीन होते हैं दूसरों की कमाई खाते हैं हराम की कमाई खाते है तो उनके इन सभी कर्मों का हिसाब धर्मराज की कचहरी में होता है और उसी हिसाब से उन्हें सजा सुनाई जाती है इसलिए सतगुरु फरमान करते हैं कि हे भाई ! यह मनुष्य जामा बहुत अनमोल है इसको व्यर्थ मत ग्वाओ इसको अच्छे कार्यों में लगाओ उस ईश्वर की भक्ति में इसे लगाना चाहिए तभी जाकर हम उस प्रभु के खेल को समझ सकते है उसकी इस बनाई हुई रचना को जान पाते है हे भाई ! संत जनों की संगत में रहकर उस परमात्मा के आगे अरदास कर, अपने जीवन को उसके चरणों में समर्पित कर क्योंकि यहां पर कुछ भी सत्य नहीं है सब मोह माया का जाल बिछा हुआ है जिसे समझना इतना आसान नहीं है इसलिए तो हम यहां पर लाखों-करोड़ों बार जन्म ले चुके हैं लेकिन अब भी यही भटक रहे है हमें अपने सच्चे घर की तलाश करनी चाहिए जो कि वह प्रभु का घर है और वह प्रभु हमारे अंदर की सब जानता है कुछ भी उससे छिपा हुआ नहीं है इसलिए सतगुरु फरमान करते हैं कि हे भाई ! इस संसार में रहकर माया के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि जीवन को परमात्मा की भक्ति में लगाना चाहिए और अपने जीवन के असल उद्देश्य को समझना चाहिए जोकि उस मालिक परमात्मा से मिलाप है ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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