साध संगत जी आज की साखी सतगुरु नानक देव जी के समय की है जब सतगुरु नानक की मुलाकात भक्त ध्रुव से हुई थी और कुछ करामातों का प्रदर्शन सतगुरु के सामने किया गया था और उसके बाद सद्गुरु को निराकार स्वरूप जानकर भक्त ध्रुव जी ने सतगुरु नानक से सवाल किए थे कि परमात्मा का आकार कैसा है और वह कैसा दिखता है ? क्या वह कोई रोशनी है ? क्या उसे इन आखों से देखा जा सकता है ? तो जब ऐसे प्रश्न भगत ध्रुव जी ने सतगुरु नानक से पूछे थे तो सतगुरु ने क्या कहा था आयिए बड़े ही प्यार से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।
साध संगत जी आज के समय में कोई भी धार्मिक बातों पर चर्चा करना मुनासिब नहीं समझता क्योंकि इसके लिए किसी के पास भी समय नहीं है सभी अपने अपने कामों में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास इस पर विचार करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है और जब भी कोई धार्मिक बात आती है तो कुछ लोग वहां से उठ कर चले जाते हैं क्योंकि उन्हें धर्म से संबंधित बातें सुनना, धार्मिक बातें सुनना पसंद नहीं होता आजकल सभी ईश्वर के रचाए हुए इस खेल में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनी मूल सच्चाई को ही भूल गए हैं लेकिन साध संगत जी आज से कुछ वर्षों पहले जो लोग थे वह धर्म चर्चा करना पसंद करते थे क्योंकि वह हम से अधिक जागरूक थे साध संगत जी संत महात्माओं ने फरमाया है कि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे ही जागरूकता कम होती जाएगी क्योंकि हम में से पहले जो लोग हुआ करते थे वह हम से अधिक जागरूक थे और सतयुग के जो लोग थे वह तो और भी ज्यादा जागरूक अवस्था के लोग थे और अगर हम कलयुग की बात करें तो हमारी जागरूकता दिन-ब-दिन कम होती जा रही है क्योंकि हम दुनिया के पदार्थों में इतने लीन हो गए हैं कि हमें हमारी मूल सच्चाई का कुछ भी पता नहीं है साध संगत जी जब सतगुरु नानक से भगत ध्रुव ने ईश्वर के रूप रंग और उसके आकार के बारे में पूछा था तो सतगुरु ने बहुत ही सरल तरीके से उसका उत्तर दिया था सतगुरु फरमाते हैं कि वह ईश्वर बहुत निराला है उसका कोई अंत नहीं है वह बेअंत स्वामी है इसलिए इस पृथ्वी पर बड़े से बड़े योगी जपी, तपी आए उन्होंने उसका अंत ढूंढना चाहा लेकिन वह उसका पार नहीं पा सके वह उसकी माया का अंत नहीं जान सके और यहां से चले गए क्योंकि उसका कोई अंत ही नहीं है वह बेअंत स्वामी है उसका कोई आकार नहीं है वह निराकार है उसका कोई रूप रंग नहीं है क्योंकि वह इन सब चीजों में नहीं आता वह इन सब चीजों से बहुत परे है इस बुद्धि से उसको जाना नहीं जा सकता हमारी मानव बुद्धि उसके भेद को नहीं समझ सकती क्योंकि यह बुद्धि से परे की बात है वह ईश्वर कहीं पत्थर के रूप में मौजूद है कहीं मनुष्य के रूप में मौजूद है और कहीं पशु पक्षियों के रूप में मौजूद है इसलिए उसका कोई रूप नहीं, इससे उलट हमें यह विचार करने की जरूरत है कि उसका कौन सा रूप नहीं हो सकता, सभी उसके रूप है और सब कुछ उसके हुक्म के अंदर है यहां पर हमें जो भी दिखाई पड़ता है वह वही है क्योंकि यहां पर कुछ भी ऐसा नहीं है जो उसके द्वारा निर्मित ना हुआ हो इसलिए उसके इस भेद को समझ पाना इतना आसान नहीं है तो साध संगत जी सतगुरु नानक ने इस तरह इस प्रश्न का जवाब देते हुए बहुत सरल तरीके से हम लोगों को यह उपदेश दिया था कि वह ईश्वर का कोई आकार नहीं है वह निराकार स्वरूप है और ना ही उसका कोई अंत है क्योंकि वह मालिक बेअंत स्वामी है और उसे इन आंखों से नहीं देखा जा सकता क्योंकि वह भौतिक पदार्थों से परे है केवल वही उसे समझ सकता है जिस पर उसकी कृपा का हाथ हो केवल वही उसके भेद को जान पाता है ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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