साध संगत जी, जो लोग चुगली करते हैं इधर की बात उधर करते हैं और दूसरे लोगों से ईर्ष्या करते हैं उनके लिए सतगुरु वाणी में फरमान करते हैं कि उनका कभी भी भला नहीं हो सकता और उनकी बातों पर कोई ऐतबार नहीं करता और ऐसा व्यक्ति उजाड़ में खड़ा चिल्लाता है और जिस व्यक्ति के मन में चुगली होती है ।
वह व्यक्ति चुगल के नाम से मशहूर हो जाता है और उसकी पिछली कमाई भाव जो उसने पीछे अच्छे कर्म किए होते हैं वह सब व्यर्थ हो जाते हैं वे व्यक्ति दिन रात चुगली करता रहता है और इसलिए समाज में उसका मुंह काला हो जाता है साध संगत जी, कैसे अपने अंदर से दूसरों के प्रति ईर्ष्या दूर की जाए इसके बारे में सतगुरु वाणी के 189 अंग में फरमान करते हैं सतगुरु कहते है जिसका दिमाग उस परमेश्वर की कृपा से भरा होता है वह कभी किसी से ईर्ष्या नहीं करते बलिक उन्हें सभी तरफ उस परमेश्वर की ज्योति दिखाई पड़ती है क्योंकि सभी में उस परमपिता परमेश्वर की ज्योति जल रही है लेकिन वह ज्योत केवल उन्हीं को दिखाई पड़ती है जो उसके रंग में रंगे होते हैं जिनके अंदर किसी तरह के कोई विकार नहीं होते और जो काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से रहत होते हैं उन्हीं पर ईश्वर की अपार कृपा होती है और वह उसके दिव्य स्वरूप को देख पाते है और ऐसे व्यक्ति कभी भी किसी से ईर्ष्या नहीं करते बल्कि उनके अंदर तो दूसरों के प्रति अटूट प्रेम पैदा हो जाता है ईर्ष्या को अपने अंदर से खत्म करने का यही एकमात्र उपाय है कि अपने आप को उस परमपिता परमेश्वर के चरणों में समर्पित कर देना, ऐसे समर्पण करने से उस ईश्वर के गुण उस व्यक्ति में आ जाते हैं और व्यक्ति के अंदर से सभी तरह के मानवीय विकार निकल जाते हैं और व्यक्ति ईश्वर के रंग में रंग जाता है और सभी से प्रेम करने लगता है ईर्ष्या रहत हो जाता है ।
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By Sant Vachan
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