इस संसार में सभी दुखी है यहां पर कोई भी सुखी मालूम नहीं पड़ता क्योंकि ये संसार दुखों का घर है और दुख यहां पर बढ़ता ही रहेगा क्योंकि इंसान परमात्मा रूपी नूर से जितना दूर होता जाएगा ।
उतना ज्यादा दुख बढ़ता जाएगा और दुख हमारे लिए दवाई की तरह काम करता है जब हम दुखी होते है तभी उस कुल मालिक की याद हमें आती है हम उसके आगे गिड़गिड़ाते है फरयाद करते है इसलिए बाबा फरीद जी ने कहा था कि हे मालिक ! मुझे दुख देते रहना ताकि मुझे तेरी याद आ सके और मैं तुझसे जुड़ा रहूं सतगुरु फरमाया करते थे, कि दुख कि घड़ी में उम्मीद हमारी वह शक्ति है, जो हमें उस समय भी प्रसन्न बनाये रखती है जब हमें मालूम होता है कि हालात बहुत खराब हैं
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