गुरु प्यारी साध संगत जी आज आपसे एक ऐसा वाक्य सांझा करने जा रहा हूं जो कि मेरा देखा हुआ है साध संगत जी इस चैनल के माध्यम से आप जी से केवल वही बातें साझा की जाती हैं जो कि सत्संगियों की सच्ची आप बीतीया होती हैं जो उनके साथ हुआ होता है जो उनके अनुभव होते हैं वही आपसे सांझा किए जाते हैं और उन्हें सांझा करने का केवल एक ही मकसद है ताकि उससे हम भी कुछ सीख सकें हमें भी पता चल सके कि रुहानियत क्या है
और हम भी इस मार्ग पर आगे बढ़ सके तो साध संगत जी ऐसा ही एक वाक्य है जो आपसे सांझा करता हूं, साध संगत हाल ही में हमारे गांव में एक सत्संगी माई की मृत्यु हुई, उनकी उम्र करीब 110 साल रही होगी, साध संगत जी उन्हें बहुत पहले का नाम मिला हुआ था और माई बहुत ही कमाई वाली थी खुले दिल की थी खुली बातें करती थी किसी बात का कोई डर नहीं था, और सभी लोग माई का बहुत ही मान आदर करते थे क्योंकि वह बहुत कमाई वाली थी सभी सत्संगी उनकी बात मानते थे जो वह कहती थी उनके वचनों का पालन सभी करते थे और वह सेवा भी बहुत करती थी सेवा में माई को जत्थेदार बनाया जाता था साध संगत जी उनकी सेवा के प्रति इतनी लगन थी कि वह अपने घर से गुरु घर पैदल ही चले जाती थी वह अपने घर से पैदल ही चले जाती थी इतनी उनकी सेवा के प्रति लगन थी, और सभी उनकी बात माना करते थे कोई भी उनके हुकुम की उल्लंघना नहीं करता था क्योंकि सबको पता था की माई बहुत कमाई वाली है और उनके दो बेटे थे और माई के दोनों बेटों की अपनी-अपनी दुकानें हैं , माई अपने बच्चों को भी कहा करती थी कि नाम ले लो लेकिन उनका रुझान दुनिया की तरफ था अपने बिजनेस की तरफ था दुकानों की तरफ था इसलिए वह इन बातों पर गौर नहीं करते थे लेकिन उनके बड़े बेटे ने माई के जोर डालने पर नाम ले लिया लेकिन छोटे बेटे ने नाम नहीं लिया था साध संगत जी जब माई का अंतिम समय आया तो माई अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और सभी संगत उनके घर पर इकट्ठी हुई थी और सभी उस समय रो रहे थे क्योंकि सबका माई के साथ बहुत प्रेम था प्यार था सभी माता से बहुत प्यार करते थे और वहां पर कुछ बच्चे भी थे जो माई की ऐसी हालत को देख कर रो रहे थे और कुछ ऐसे सत्संगी थे जो मई को देख कर रो रहे थे तो माई ने उनको इशारा किया कि रोना नहीं है और माई ने अपने दोनों हाथों को ऐसे ऊपर कर कर कहा कि हंसो, रोना नहीं है और ऐसा माई ने दो बार कहा कि हंसो मुझे कोई रोता हुआ दिखाई नहीं देना चाहिए ऐसा उन्होंने इशारों से कहा और साध संगत जी उनकी मृत्यु से 10:15 मिनट पहले उनकी आवाज चली गई वह चुप हो गई और जो भी वह कहती थी इशारों से कह रही थी इशारों इशारों में सब बता रही थी और माई कह रही थी कि हंसो कोई रोता हुआ नहीं दिखना चाहिए तो माई की यह बात मान कर कुछ सत्संगी हसने लग पड़े और माई के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी और माई बहुत खुश लग रही थी और माई की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था वह बहुत खुश थी और संगत को भी खुश रहने के लिए बोल रही थी उनको हंसने के लिए कह रही थी क्योंकि साध संगत जी ऐसी बात केवल वही कर सकता है जो पहुंचा हुआ हो नहीं तो आप देख ही सकते हैं कि बिना गुरु के लोगों की कैसे मृत्यु हो जाती है कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि हम आज सोए हैं पता नहीं कल उठेंगे भी या नहीं लेकिन जो सतगुरु के प्यारे हैं जिन्हें नाम की बख्शीश हुई है उन्हें पहले ही खबर हो जाती है कि इस समय मुझे जाना है तो वह पहले ही तैयारी कर लेते हैं तो माई को भी पहले ही मालूम पड़ गया था कि सतगुरु इस समय मुझे लेने आने वाले हैं वह जो 10:15 मिनट थे उसमें माई सबको भजन सिमरन करने के लिए बोल रही थी और जो रो रहे थे उनको हंसने के लिए कह रही थी और उस समय माई के कमरे में कुछ लोग आए हुए थे माई ने अपने बड़े बेटे को इशारे से कहा कि जिन्हें नाम मिल चुका है जिन्हें सतगुरु से नाम की बख्शीश हो चुकी है केवल वही मेरे पास होना चाहिए बाकी जो भी है उन सभी को बाहर निकाल दो मेरे कमरे में केवल वही रहना चाहिए जिसे नाम की बख्शीश हुई है बाकी जो कोई भी है चाहे वह कोई भी हो उसे बाहर निकाल दो तो साध संगत जी उन्होंने ऐसा ही किया जिन्हें नाम की बख्शीश हुई थी केवल वही माई के पास खड़े थे बाकी जो भी थे जिन्हें नाम की बख्शीश नहीं हुई थी उन सभी को माई के कमरे से बाहर निकाल दिया गया और उसी समय माई का छोटा बेटा भी उनके पास आ गया माई ने उसे इशारे से कहा कि तुझे नाम मिला है तो उसने कहा नहीं, तो माई ने इशारा किया कि बाहर चले जाओ साध संगत जी पहले तो यह बात किसी को समझ में नहीं आई कि माई ऐसा क्यों कह रही है तो कुछ देर बाद कुछ सत्संगी अभ्यासियों से यह मालूम हुआ कि जब किसी सत्संगी की मृत्यु होने वाली होती है तो उसे सतगुरु लेने आते हैं और जब एक सत्संगी की मृत्यु होती है तब उसे सब दिखाई देने लग जाता है कि किस-किस पर गुरु का हाथ है क्योंकि उस समय माहौल ऐसा होता है उनके आसपास उन्हें वही अच्छा लगता है जो गुरु से जुड़ा हुआ हो जो मालिक से जुड़ा हुआ हो जिसे नाम की बख्शीश हुई हो उन्हें वही अच्छा लगता है इसलिए वह ऐसा कहते हैं तो साध संगत जी जब सभी को माई के कमरे से बाहर निकाल दिया गया जिन्हें नाम नहीं मिला था तो अंदर कुछ सत्संगी थे और उस समय माई ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएं क्योंकि उनके जाने का समय हो गया था अब दो-तीन मिनट ही बचे थे तो माई ने दोनों हाथ ऊपर उठाएं और दोनों हाथ जोड़े और सभी से विदा ली और अपनी आंखें बंद की और प्यार भरी मुस्कान के साथ आप जी ने अपने प्राण त्याग दिए साध संगत जी ऐसी मृत्यु केवल कमाई वाले सत्संगियों की होती है जिन्होंने कमाई की होती है जिन्होंने अपने जीवन में मालिक का हुकुम माना होता है अपने सतगुरु के हुक्म में रहकर भजन बंदगी की होती है उनकी मृत्यु ऐसे होती है तो माई की ऐसी मृत्यु देखकर सभी हैरान थे क्योंकि ऐसा दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था और इससे बहुत सारी संगत प्रेरित हुई बहुत सारी संगत को यह एहसास हुआ कि आखिर भजन बंदगी क्यों जरूरी है आखिर सतगुरु किस लिए कहते हैं कि भजन बंदगी करो क्योंकि अंतिम समय केवल भजन बंदगी ही है जो हमारे साथ जाएगी और कोई भी चीज हमारे साथ नहीं जाएगी और अंतिम समय केवल हमारी भजन बंदगी ही देखी जाएगी इसलिए सतगुरु भजन बंदगी पर इतना जोर देते हैं कि भाई जितना समय हो सके भजन बंदगी पर लगाओ और साध संगत जी माई से संबंधित एक वाक्य और भी है संगत बताती है कि वह जो माई थी वह एक दिन संगत के साथ सेवा कर रही थी उनकी सेवा घास खोदने की लगी हुई थी तो सभी संगत सेवा कर रही थी और साध संगत जी उस समय वहां पर किसी को सांप दिखाई दिया और सभी ने उसको देखा क्योंकि वहां पर बहुत शोर मच गया था कि वहां पर सांप है तो बहुत सारी संगत डर गई थी और सभी संगत के हाथ में दातियां थी संगत वह छोड़कर भागी क्योंकि सभी को अपनी अपनी जान प्यारी होती है लेकिन साध संगत जी वह माई अपनी सेवा में लगी रही उन्हें किसी बात का कोई डर नहीं, संगत कहती है कि ऐसे लग रहा था कि जैसे माई को कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो कि उनके पास सांप है वह अपनी सेवा में मगन थी और सेवा करती रही और उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा साध संगत जी कुछ देर बाद सभी वापस अपनी जगह पर आए और अपना अपना काम करने लग गए साध संगत जी इस वाक्य से माई से हमें यह सीखने को मिला कि अगर हम मालिक से जुड़ गए हैं अगर हम भजन बंदगी करते हैं पूरा समय देते हैं तो किस बात की चिंता करनी क्योंकि हमारी संभाल तो मालिक कर रहा है तो हमें किस बात का डर है कि हमें ऐसी छोटी-छोटी चीजों से डरना चाहिए साध संगत जी जो ऐसे अभ्यासी हैं जो ऐसे कमाई वाले हैं वह किसी बात से डरते नहीं है क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी संभाल मालिक खुद कर रहा है तो वह निडर होते हैं और मालिक के भाने में रहते हैं और उनका ऐसा विश्वास देखकर हमें भी यही प्रेरणा लेनी है कि हमें भी उनके जैसा बनना है हमें भी भजन बंदगी करनी है नाम की कमाई करनी है ताकि हमारे अंदर भी वह विश्वास आ सके जो उनके अंदर है साध संगत जी सभी को माई से बहुत कुछ सीखने को मिला है और इसलिए सभी संगत उनसे बहुत प्यार करती थी और आज भी कुछ संगत उनको याद कर कर रोने लगती है साध संगत जी ऐसे कमाई वाले जीवो का इस संसार पर नाम अमर हो जाता है जो मालिक के साथ जुड़े होते हैं जो उसकी भजन बंदगी करते हैं और उसके भाने में रहते हैं फिर लोग उन्हें याद करते हैं क्योंकि ऐसे जीव बार-बार नहीं आते ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.