हे नानक ! इस संसार के लोगों का दुख तभी दूर हो सकता है जब वह तेरे नाम से जुड़ेंगे और ये अनमोल दात एक पूरा संत सतगुरु ही अपने शिष्य को दे सकता है और नाम जैसी अनमोल दात का मिलना भी तेरी कृपा है जब तक तू ना चाहे तब तक यह दात किसी की झोली में नहीं पड़ सकती और ना ही उसका तुझसे मिलाप हो सकता है यह तो तूं कृपा करें तब जाकर बात बन सकती है और जन्मों-जन्मों की बनी हुई इस दूरी को खत्म किया जा सकता है ।
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